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हिन्दी विभाग

राजकीय कला महाविद्यालय राणावाव – पोरबंदर

हिन्दी साहित्य में स्नात्तक के बाद का व्यावसायिक विकल्प

भाषा मनुष्य की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है | भाषा के बिना मानव गूंगे के समान है | शिक्षा व्यक्ति के अंतर्मन की विशेषताओं के प्रकटीकरण का दूसरा नाम हैं | वैसे तो, कहा गया है कि साहित्य समाज का दर्पण है, समाज की विभिन्न गतिविधियों का पुनःसर्जन यानी साहित्य हैं |

उपयुक्त विधानों में कोई भी बात आपके मन-मस्तिष्क को स्पर्श करती हो तो, यह निश्चित होता है कि हिन्दी साहित्य में स्नात्तक की पढाई का सोच रहे हैं |
यहाँ पर हिन्दी साहित्य में स्नात्तक की उपाधि को बयान कर रहे हैं |
उनका पाठ्यक्रम गठन, गुंजाइश और अवसर की प्रभुता पर आप अपनी आँखों देखा हाल देख सके |
हिन्दी साहित्य में स्नात्तक क्या है ?

हिन्दी में स्नात्तक, हिन्दी साहित्य में स्नात्तक एक डिग्री है |

B.A. हिन्दी की डिग्री सिर्फ नाम की डिग्री न होकर हमारे भारतीय होना का गौरव प्रदान करती है | क्योंकि हिन्दी हमारे अस्मिता की पहचान है | इनमें भाषा के संवर्धन के विविध पहलुओं पर विचार प्रस्तुत किया जाता हैं | भाषा के साथ-साथ व्याकरणिक, समीक्षात्मक आदि स्तर विचार प्रकट किया जाता हैं |
पाठ्यक्रम संरचना का उद्देश्य साहित्य के कार्यों के माध्यम से अपने परिवेश के बारे में जागरूकता की गहरी भावना विकसित करना हैं | साहित्य के छात्र के रूप में आपको सिखाया जायेगा कि किसी भी मुद्दे के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण रखा जा सकता हैं |
पढाई का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन करना नहीं हो सकता है, बल्कि मानव जीवन अस्मिता, सांस्कृतिक महत्त्व और समाज जीवन के भावनात्मक अभिगम को समझना हैं |
बतौर हिन्दी साहित्य के छात्र होने के नाते, साहित्य की अलग-अलग कृतियों का अध्ययन-अध्यापन कार्य करते समय उन्हें समझाने और समझने में प्रोत्साहित किया जाता हैं | इस प्रकार छात्रों की विचार शक्ति को ओर भी प्रभावशाली बनाया जाता है |
साहित्य की अलग-अलग विधाओं में के भीतर हम कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, आत्मकथा, महाकाव्य, खंडकाव्य, गद्य और पद्य की विभिन्न विधा को पाठ्यक्रम की सूचि में समिल्लित किया गया हैं | जिनके अंतर्गत् भारतीय एवं पाश्चात्य दोनों होते हैं |
हिन्दी साहित्य के अधिकांश पाठ्यक्रम के भीतर आदिकालीन, मध्यकालीन, रीतिकालीन और आधुनिक कालीन कवियों की रचनाओं के साथ-साथ पाश्चात्य समीक्षकों की कृतियों को समिल्लित किया गया हैं | जैसे- कबीर, सूरदास, तुलसीदास, रहीम, जायसी, केशवदास, भारतेंदु, मैथिलीशरणगुप्त, प्रेमचंद, हरिवंशराय बच्चन, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी, आदि अनगिनत साहित्यकार की रचनाओं को पाठ्यक्रम समिल्लित किया जाता हैं |
वैसे तो B.A. हिन्दी व्यवसायिक पाठ्यक्रम नहीं हैं | फिर भी व्यवसायिकता में कौशल्य प्राप्ति हेतु विभिन्न प्रकार के अवसर के द्वार जरुर प्रदान करता हैं | आगे बढ़ने का हौसला अवश्य जगाता हैं |

निम्नलिखित क्षेत्रों में अवसर अवश्य प्रदान करता हैं :

हिन्दी भाषा के शिक्षक के रूप में कार्यरत हो सकते हैं, जिनमें आप केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, सरकारी या शासकीय स्कूलों में उक्त पदों पर आरूढ़ होकर अपने उज्ज्वल भविष्य की कामना कर सकते हैं |
संस्थाकीय कालेजों और सरकारी कालेजों में अध्यापक के रूप में सफल हो सकते हैं |
पत्रकारिता के क्षेत्र में समाचारपत्र के उदघोषक, सम्पादकीय, रिपोर्ताज, लेखन कार्य का मौका जरुर प्रदान होता है |
साथ-ही अपने विचारों को अभिव्यक्त करके साम्प्रत समय की विविध समस्याओं प्रदर्शित किया जा सके |
राजभाषा अधिकारी के रूप में अपना कार्य क्षेत्र जरुर बना सकते हैं | जिसके अंतर्गत आप बैंक, डाकविभाग, विधानसभा, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, रेल विभाग, आदि |

जन संचार माध्यम :

जन संचार माध्यम एक व्यापक क्षेत्र है | जिनके भीतर व्यवसाय के अलग-अलग द्वार खुलते हैं | सूचना प्रसारित मंत्रालय, टेलीविजन, सिनेमा व्यावसायिक, लेखन, पटकथा- लेखन, संवाद-लेखन, सिनेमा संपादक आदि क्षेत्रों में व्यावसायिक विकल्प बनते हैं | साथ ही उक्त क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने में सहायकता मिल सकती हैं |

विज्ञापन जगत :

किसी भी वस्तु को बेचने के लिए उनका प्रचार-प्रसार करना सबसे आवश्यक मना जाता है | यूँ कहे तो, रचनात्मकता, संचार कौशल और व्यापार कौशल का समिश्रण यानी विज्ञापन जगत | विज्ञापन जगत के भीतर व्यवसाय के द्वार खुलने का अवसर होता है | विज्ञापन-लेखन, विज्ञापन – संवाद-लेखन, आदि क्षेत्रों में अपना पेशा बना सकते हैं |

अनुवादक :

मूलतः हिन्दी भाषा भारत देश की राज-काज में प्रयुक्त होने वाली कानूनन भाषा है | भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में अनुवादक की आवश्यकता रहती हैं | B.A. विथ हिन्दी छात्रों के लिए व्यवसाय का मौका अवश्य बनता हैं | छात्र इन अलग-अलग विभागों में अपना पेशवर करियर बना सकते हैं |

शिक्षा एवं शिक्षक :

किसी भी देश के विकसित होने में उक्त देश के शिक्षा विभाग का महतम योगदान रहता है | क्योंकि चाणक्य कहा है कि-“शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उनकी गोद में पलते हैं”| अगर आप में अध्यापक व्यवसाय का जूनून है,तो इस क्षेत्र आपको स्कूल और कालेज स्तर पर शिक्षाविद् बनने का अवसर जरुर मिलता हैं |
अभिवक्ता (वकील) बनना सीएचएएचएटीई हो, तो हिन्दी भाषा और साहित्य सहायता प्रदान करता हैं |
स्नात्तक स्तर से संबंधित विविध प्रतियोगिता को हिन्दी स्नात्तक के रूप में पास कर सकते है | upsc, gpsc, अलग-अलग विभागों की प्रतियोगिता में उत्तीर्ण होने में हिन्दी भाषा या हिन्दी साहित्य अवश्य सहायक होता हैं |

निष्कर्ष

अगर अपने आप में सही कौशल्य है, आप में भारत देश की अस्मिता के प्रति गौरवन्वित होने की चाहना है | तो निश्चित तौर पर आप हिन्दी साहित्य में स्नात्तक डिग्री प्राप्त करना सही कदम हो सकता हैं | कबीर ने कहा है कि-“जिन खोजा तिन पाया गहरे पानी पैठ | मैं बापुडी डूबन डरी रही किनारे बैठ” | आप में अनुसन्धान, राजभाषा सेवा और भारतीय अस्मिता की पहचान आदि के बारे में ख्यालात है | निश्चित रूप में आपके जीवन की संभावनाओं का द्रष्टिकोण अवश्य बदल सकता हैं | क्योंकि आप हिन्दी भाषा की सेवा यात्रा में जुड़े हो |

Course Syllabus